दिमागी तनाव आपकी किडनी यानि गुर्दा खराब कर सकता है। जी हां, यह सच है कि दिमाग में उथल-पुथल से body के अंदर blood Flow तेज़ हो जाता है। इसे हाइपरटेंशन कहते हैं। क्योंकि body में blood flow System तेज़ होने से किडनी की कई बीमारियां होती हैं। कुछ बीमारियां तो ऐसी होती है जिनसे किडनी ही खराब हो जाता है।
चलिये सबसे पहले हम आपको बताएँगे कि तनाव या मानसिक रोग क्या होता है? इसके साथ ही आप यह जान पाएंगे कि तनाव का बढ़ना कैसे हो सकता है किडनी खराब होने का कारण?
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव यानि Stress एक आम समस्या बन चुकी है। छोटे से लेकर बड़े तक, आज हर तीसरा व्यक्ति इस Problem से जूझ रहा है। Depression की situation तब होती है, जब हम mental pressure लेने लगते हैं और जीवन के हर moment को Negative रूप से सोचने लगते हैं|
यह समस्या शारीरिक रूप से कमजोर करने के साथ- साथ mental प्रैशर को बढ़ता है जिससे आपका मन और मस्तिष्क ठीक से काम नहीं कर पाता और न ही आप अपने जीवन का खुलकर आनंद उठा पाता है। कार्यशैली और संबंधों पर बुरा असर पड़ने के चलते उसमें जीने की इच्छा भी खत्म हो जाती है।
आपको बता दें कि जब एक व्यक्ति ठीक से सोच नहीं पाता, उसका अपनी Emotions और behavior पर काबू नहीं रहता, तो ऐसे हालत को मानसिक रोग कहते हैं। मानसिक रोगी आसानी से दूसरों को समझ नहीं पाता और उन्हें अपने daily Routine के काम ठीक से करने में मुश्किल होती है|
मानसिक रोग किसी को भी हो सकता है, फिर चाहे वह आदमी हो या औरत, जवान हो या बुज़ुर्ग, पढ़ा -लिखा हो या अनपढ़, या चाहे वह किसी भी संस्कृति, जाति, धर्म, या तबके का हो, अगर मानसिक रोगी अच्छी तरह अपना इलाज करवाए, तो वह ठीक हो सकता है। वह एक अच्छी और खुशहाल ज़िंदगी जी सकता है| लेकिन ज्यादातर केस में लोग काउंसलिंग करवाने से डरते हैं कि लोग उन्हें पागल समझेंगे और ऐसा करने से मानसिक रोगी की समस्या बढ़ जाती है।
आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट कम करें मानसिक तनाव
धमनियों के कमजोर होने पर गुर्दा का फंक्शन धीमा हो जाता है। इससे खून में यूरिया की मात्रा बढ़ने लगती है। डायबिटीज से पीड़ित करीब 40 फीसदी मरीजों को हाइपरटेंशन की शिकायत होती है। हाइपरटेंशन का असर एड्रीनल ग्रंथी पर भी पड़ता है।
आयुर्वेद की मदद से भी हम तनाव और चिंता की नेचुरल प्रक्रिया को control कर सकते हैं और इनसे राहत पा सकते हैं, आइए जानते हैं कि आयुर्वेद की मदद से हम किस तरह चिंता और तनाव को दूर रख सकते हैं|
1. मालिश करें
आयुर्वेद के अनुसार, आप अगर लगातार depress में हैं तो अपने Daily routine में मालिश को जगह दें| तनाव दूर करने के लिए अगर आप तिल के तेल का मालिश करते हैं तो ये आपके लिए काफी फायदेमंद होगा| अगर आपके पास तिल का तेल नहीं है तो आप आंवला तेल या बदाम तेल भी हेड मसाज या Body massage के लिए use कर सकते हैं| यह आपके तनाव को कम करने में काफी फायदेमंद साबित होगा| इसके अलावा, आप रोज रात में सोने से पहले पैरों पर मालिश करें, आप बहुत रिलैक्स महसूस करेंगे|
2. प्राणायाम करें
प्राणायाम के साथ आप अपने दिन की शुरुआत कर सकते हैं| अगर आपको प्राणायाम नहीं आता तो आप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें| इसकी मदद से ब्रेन में भरपूर ऑक्सीजन पहुंचता है जो दिमाग को रिलैक्स करता है और आप रिलैक्स महसूस करते हैं|
3. वात बढ़ाने वाले भोजन से रहें दूर
चिंता और तनाव हमारे शरीर में वात दोष से भी बढ़ता है| ऐसे में फ्राई चीजों, जंक और फास्ट फूड आदि से बचें क्योंकि चाय और कॉफी भी शरीर में वात बढ़ाते हैं ऐसे में इनसे दूरी भी जहां तक हो सके बनाएं|
4. भोजन में शामिल करें ये चीजें
स्ट्रेस से नहीं उबर पा रहे हैं तो आंवला मुरब्बा, अश्वगंधा, ब्राम्ही को अपने भोजन में शामिल करें| आप रातभर कुछ बदाम को पानी में फूला दें और सुबह दूध के साथ इनका सेवन करें| ये आपके दिमाग को रिलैक्स करने में काफी कारगर हैं|
5. भरपूर लें नींद
आयुर्वेद में रात की नींद का बहुत महत्व है| यह आपके मेंटल, फिजिकल और इमोशनल फीलिंग को रिलैक्स करता है| दोपहर की नींद से बचें|
तनाव के प्रकार कौन-कौन से हैं?
1. एंटीसिपेट्री स्ट्रेस (Anticipatory Stress)
जब आप Future में होने वाली गतिविधियों को लेकर over thinking करने लगते हैं, तो इससे आपको एंटीसिपेट्री स्ट्रेस हो सकता है| इस प्रकार के तनाव में आपको अक्सर भविष्य में घटने वाली स्थिति के गलत होने का डर व खतरा महसूस होता रहता है| उदाहरण के लिए आपको आने वाले एग्जाम में फेल होने का डर सताने लगे|
2. एनकाउंटर स्ट्रेस (Encounter Stress)
जब आप किसी निश्चित व्यक्ति या Group meeting के सामने जाने से चिंतित होने लगें और उनके सामने जाने से बचने लगें, तो आपको एनकाउंटर स्ट्रेस हो सकता है| उदाहरण के लिए आपको अपने boss के सामने जाने से ही तनाव होने लगे, तो वह इसी प्रकार का तनाव माना जाएगा| इस तरह के स्ट्रेस में आप निश्चित व्यक्ति या Group members के द्वारा अपने बारे में कोई राय कायम कर लेने के डर से जूझते रहते हैं|
3. टाइम स्ट्रेस (Time Stress)
जब आपको समय को लेकर stress रहने लगे, तो समझ जाइए कि आपको टाइम स्ट्रेस हो रहा है| इस तरह के depression में इंसान को समय की कमी महसूस होती रहती है| उसे लगता है कि वह समय पर कोई काम पूरा नहीं कर पाएगा| इस प्रकार का तनाव अक्सर ऑफिस जाने वाले लोग, पढ़ने वाले बच्चे या डेडलाइन पर काम करने वाले लोगों को होता है|
4. सिचुएशनल स्ट्रेस (Situational Stress)
सिचुएशनल स्ट्रेस तब होता है, जब आप किसी परिस्थिति के कारण Stress में रहते हैं, यह स्थिति जीवन में अक्सर कभी-कभी आ सकती है, लेकिन कुछ लोगों को ऐसी सिचुएशन से भी तनाव हो सकता है, जिनका सामना उन्हें बार-बार करना पड़ता है| उदाहरण के लिए बच्चे हमेशा एग्जाम के आसपास बहुत ज्यादा तनावग्रस्त होने लगते हों या फिर आपकी नौकरी को नौकरी से निकालने का तनाव हो रहा हो|
तनाव बढ़ने के कारण किडनी खराब होने के लक्षणों की पहचान कैसे करें?
1. तनाव बढ़ने पर सिरदर्द व दांत में दर्द होता है
जी हाँ, जब व्यक्ति को ज्यादा stress होता है तो उसे लगातार सिरदर्द, व जबड़े में दर्द व अकड़न का अहसास अक्सर होता है। दरअसल, डिप्रेशन में व्यक्ति अक्सर अपने दांत को पीसता है, जिसके कारण उसे दांतों में दर्द व अकड़न की समस्या होती है।
2. तनाव बढ़ने पर mussels पड़ने लगते है कमजोर
Stress के कारण व्यक्ति के शरीर में अक्सर कंपन होती है। यहां तक कि उसके होंठ व हाथ भी कांपते हैं। इतना ही नहीं, इससे मांसपेशियों में ऐंठन, गर्दन में दर्द और पीठ दर्द की समस्या भी उत्पन्न होती है। तनाव के कारण व्यक्ति को चक्कर आना, हल्का सिरदर्द व बेहोशी भी हो सकती है।
3. Stress बढ़ने पर होती है skin problem
जी हां, Stress का बढ़ता स्तर कई त्वचा संबंधी समस्याओं को भी जन्म देता है। दरअसल, तनाव के कारण व्यक्ति को बार−बार पसीना आता है या फिर उसके हाथ−पैर बार−बार ठंडे हो जाते हैं। जिसके चलते व्यक्ति को स्किन पर चकते, दाने, खुजली, मुंहासे व अन्य तरह की एलर्जी होने लगती है|
4. तनाव बढ़ने पर होती है पेट की समस्या
तनाव को हार्टबर्न, अपच, पेट दर्द व मतली का कारण माना जाता है। इसके कारण व्यक्ति को पेट फूलना, कब्ज, दस्त जैसी समस्याएँ भी हो सकती हैं। इसलिए अगर आपको इस तरह की समस्या लगातार बनी रहे तो इसे बिल्कुल भी unseen ना करें|
चलिये जानते है कि तनाव यानि डिप्रेशन से कैसे निपटा जा सकता है?
इसके लिए नियमित रूप से 20 से 30 मिनट शारीरिक व्यायाम करें। इससे आपके दिमाग को सोचने का वक्त मिलेगा। मेडिटेशन कीजिए (ध्यान लगाइए) राहत भरा संगीत सुनिए!
10 - 20 मिनट तक आंखें बंद करके शांति का अनुभव कीजिए। गहरी सांस लीजिए। दिमाग को शांत करें, और तनाव भरी बातें दिमाग से निकाल दें। अख़बार पढ़िए या किसी से बात कीजिए। अपनी बातों और विचारों को कागज़ पर लिखने से, या किसी से बात करने पर आप ये जान पाएंगे कि आपके तनाव के कारण क्या है।
Last but not least डॉक्टर से संपर्क जरूर करें
जी हाँ, अगर आपको ऐसा Feel हो रहा है कि आप लंबे समय से तनाव में हैं या उसे दूर नहीं कर पा रहे हैं तो डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। अधिक समय तक तनाव की स्थिति आपको किडनी की बीमारी का शिकार भी बना सकती है।
वैसे तो आप मानसिक तनाव को कम करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार भी ले सकते है क्योंकि आयुर्वेदिक उपचार से मानसिक तनाव को बढ़ने से रोका जा सकता है क्योंकि आयुर्वेदिक औषधियों के साथ बैलेस डाइट में फलों को लेने से आसानी से मानसिक तनाव कम किया जा सकता है|
Get Appointment Doctor for Kidney Failure Treatment
अगर mental Depression के कारण आपकी किडनी में कोई भी समस्या है तो इसको Unseen न करें और अगर आप अपनी किडनी के लिए इलाज लेना चाहते हैं तो आयुर्वेदिक सबसे Safe Treatment है |
क्योंकि आयुर्वेदिक इलाज़ में आपकी किडनी को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता...आयुर्वेदिक इलाज़ पूरी तरह प्राकृतिक है, जो अपना काम पूरा प्राकृतिक तरीके से करता है|
इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं| इसलिए आप मानसिक तनाव से जुड़ी किसी भी समस्या के समाधान के लिए मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह एवं संपर्क जरूर करें|
Related Quires
- मानसिक तनाव कैसे दूर करें
- तनाव प्रबंधन के उपाय
- मानसिक तनाव से होने वाले रोग
- मानसिक तनाव के कारण
- मानसिक तनाव किसे कहते हैं
- तनाव कितने प्रकार के होते है
- मानसिक तनाव के प्रकार
- मानसिक तनाव दूर करने के घरेलू उपाय
0 Comments