मछ्ली ज्यादा खाने वालों को किडनी खराब का बड़ा खतरा

अगर आप मछलियां खाने के शौकीन हैं तो जरा संभल कर खाएं। क्योंकि जिन मछलियों को आप स्वाद लेकर खाते हैं उन्हें सुरक्षित रखने के लिए बड़े पैमाने पर फार्मलिन का उपयोग किया जाता है। जिससे न सिर्फ कैंसर होता है बल्कि लिवर और किडनी के खराब होने का खतरा भी बढ़ जाता है| जी हाँ, मछ्ली ज्यादा खाने वालो को किडनी खराब का खतरा रहता है ज्यादा|

तो चलिये जानते हैं कैसे ज्यादा मछली खाने से किडनी खराब होने का खतरा बढ़ सकता है?

वैसे तो बैलेंस मात्रा में मछली का सेवन करना आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है| क्योंकि इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड होने की वजह से यह किडनी को कई बीमारियों से बचाता है लेकिन मछली में प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है और प्रोटीन के अधिक होने से किडनी डैमेज होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है| इसलिए ज्यादा मछ्ली खाने वालों को किडनी खराब होने का बड़ा खतरा रहता है|


तो अब आप सोच रहें होंगे कि मछलियों से मिलने वाले फ़ायदों के बारे में हम भी पहले से थोड़ा बहुत जानते है लेकिन ये फार्मलिन क्या चीज है इसके बारे में तो हमने कभी सुना भी नहीं, घबराए नहीं हम आपको सबसे पहले मछलियों पर छिड़ने वाले कैमिकल से होने वाले नुकसान के बारे में ही बताएँगे |

तो सबसे पहले हम जानेगे कि फार्मलिन क्या होता है? और मछलियों पर इस क्यों छिड़का जाता है?

आपको बता दें कि फार्मलिन एक खतरनाक हानिकारक कैमिकल है। जिसका उपयोग मछलियों को लंबे समय तक स्टोर करने के लिए किया जाता है| इतना ही नहीं फार्मलिन को शव यानि (Dead Body)को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है|

फार्मलिन का उपयोग की गई मछ्ली का सेवन करने से लीवर, किडनी समेत कई महत्वपूर्ण अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में बाजार में बिकने वाली बर्फ युक्त मछलियों का सेवन खतरे से खाली नहीं है।

बरसात में मछली न खाएं

जी हाँ, बारिश के दिनों में मौसम थोड़ा ठंडा हो जाता है। इस वजह से लोग मछली के पकौड़े या सब्जी बनाकर खा लेते हैं। इस मौसम में मछली का सेवन शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है !

बरसात में मछलियां और सभी समुद्री जीव अंडे देते हैं। इन्हें खाने से पेट में संक्रमण और फूड प्वाइजनिंग संभव है। वहीं बारिश का सारा पानी नदियों व तालाबों में जाता है जिससे पानी प्रदूषित हो जाता है। इस पानी में रहने वाली मछलियां भी दूषित हो जाती हैं। इसलिए ऐसे मछलियों का ज्यादा सेवन करना खतरे से खाली नहीं होता|

वैसे तो आप सभी मछ्ली बड़े चाव से स्वाद लेकर खाते है लेकिन शायद आप नहीं जानते कि मछलियों पर चढ़ाया जाने वाला केमिकल सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। क्योंकि मछली को लंबे समय तक स्टोर करने के लिए फार्मलिन का प्रयोग किया जाता है। जो आपके सेहत के लिए बहुत ही नुकसानदायक होता है इसके उपयोग से न केवल आपके लीवर व साथ ही किडनी सहित शरीर के कई महत्वपूर्ण अंग डैमेज हो सकते हैं।

अब आप जान ही चुके होने कि आखिर ज्यादा मछली खाने से कैसे हो सकती है आपकी किडनी खराब|

क्या हुआ सोच में पड़ गए ! घबराएँ नहीं, हम आपको ऐसी सलाह बिलकुल भी नहीं दे रहे कि आप मछ्ली खाना ही बंद कर दें| आप मछ्ली खाना न छोड़े बस बैलेंस मात्रा में मछ्ली का सेवन करें क्योंकि जैसा कि आप जान ही चुके है कि मछली का सेवन आपके सेहत के लिए कितना फायदेमंद होता है|

जैसाकि आपने हमेशा डॉक्टर को ये कहते हुए सुना होगा कि ताजा खाने का ही सेवन करना चाहिए, क्योंकि बासी खाने से कई तरह की दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। क्योंकि जब हम बासी खाना खाते हैं तो कई बार ये हमारे पेट में सही से पच नहीं पाता है, जिसकी वजह से हमारे पाचन तंत्र में दिक्कत, पेट में दर्द और कई तरह की परेशानियां होना शुरू हो जाती हैं।

इसलिए जरूरी है कि जब भी आप कुछ खाएं तो हेल्दी और ताजा बना खाना ही खाएं। जैसे- मछली में भले ही पोषक तत्व होते हैं, जो हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। लेकिन इसके लिए ये भी जरूरी है कि जब आप बाजार से मछली खरीदकर लाएं, तो ये सुनिश्चित कर लें कि वे ताजी है न की बासी।

लेकिन आप कहेंगे कि आखिर हम कैसे पहचाने कि कौन सी मछली ताजी है और कौन सी बासी? तो घबराएं नहीं, हम आपको कुछ तरीकें बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से आप ताजी और बासी मछली में पहचान कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में।

मछ्ली के बनावट का ध्यान रखें

जी हाँ, मछली खरीदते समय आपको मछली की बनावट का ध्यान रखना है, क्योंकि इससे आप ताजी और बासी मछली में आसानी से पहचान कर सकते हैं। जो मछली ताजी होगी उसकी बनावट थोड़ी गीली होगी, जबकि जो मछली बासी होगी वो सूखी होगी। आप ये भी देख सकते हैं कि मछली के अंदरूनी हिस्से में चमकदार लाल गुलाबी रंग है या नहीं। अगर ये रंग है, तो मछली ताजी होगी...

मछ्ली को सूंघ कर भी देख सकते है ताज़ी है या बासी

आप ने अपने आस-पास बहुत से ऐसे लोगों को देखा होगा जिन्हें हर चीज को सूंघने की आदत होती है वो खाना खाने से पहले भी सूंघते है| ठीक इसी प्रकार मछली खरीदते समय आपको इसे सूंघ कर देखना चाहिए। ध्यान रहे कि अगर इस दौरान इसमें से जो गंध आ रही है वो मछली की है, तो मछली ताजी है। लेकिन अगर मछली में से किसी अन्य तरह की बदबू आ रही है, तो समझ जाइए कि ये मछली बासी है या फिर खराब हो चुकी है।

मछ्ली की त्वचा से भी पहचान सकते हैं

मछली खरीदते समय ध्यान देना चाहिए कि मछली चमकदार न दिखे, साथ ही वो सुस्त न हो। जो मछली ताजी होगी उसका मांस साफ और एकदम फ्रेश अलग ही नजर आता है। वहीं, ताजी मछली की त्वचा सख्त और पपड़ीदार होती है। अगर मछली के छिलके अपने आप बाहर निकल रहे हैं, तो हो सकता है कि वो मछली बासी है।

अब आप समझ ही गए होंगे कि मछ्ली ज्यादा खाने वालो की किडनी खराब हो सकती है| इसलिए मछ्ली खरीदने से पहले मछ्ली की बनावट का ध्यान रखें, सूंघ कर देखे मछ्ली ताज़ी है या बासी| ताकि आप किडनी की खराबी से बच सकें|

आयुर्वेदिक उपचार भी ले सकते है क्योंकि आयुर्वेदिक उपचार से किडनी को किसी भी प्रकार का साइडिफेक्ट का खतरा नहीं होता है| आयुर्वेदिक औषधियों के साथ बैलेस डाइट में फलों को लेने से आसानी से खून को बढ़ाया जा सकता है| इसलिए आयुर्वेदिक उपचार लेने से किडनी फेलियर खून को बढ़ा सकते है|

ayurvedic treatment for kidney failure

अगर आपकी किडनी में कोई भी समस्या है तो इसको अनदेखा न करें और अगर आप अपनी किडनी के लिए इलाज लेना चाहते हैं तो आयुर्वेदिक इलाज़ सबसे सुरक्षित है|

हम आशा करते हैं कि आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई होगी| हम फिर आएंगे एक नए विषय साथ तब तक के लिए Good bye ……

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