दोस्तों, यूरिक एसिड शरीर में खून के जरिए किडनी तक पहुंचता है। ज्यादातर पेशाब के माध्यम से यूरिक एसिड शरीर के बाहर निकल जाता है। लेकिन कुछ मामलों में जब यूरिक एसिड शरीर से नहीं निकल पाता है तो इसकी अधिकता हो जाने पर कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे - गठिया रोग, जोड़ों में दर्द, गाउट और सूजन जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
तो चलिये जानते है कि यूरिक एसिड के बनने की शुरुआत में ही किन चीजों का सेवन बंद कर देना चाहिए..........
सबसे पहले हम जानेगे कि यूरिक एसिड क्या होता है?
यूरिक एसिड कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और नाइट्रोजन जैसे तत्वों से मिलकर बना एक तत्व होता है, जो शरीर को प्रोटीन से एमिनो एसिड के रूप में प्राप्त होता है…..
जब किडनी सही तरह फिल्टर नहीं कर पाती है, तो यूरिया यूरिक एसिड में परिवर्तित होकर हड्डियों के बीच में जमा हो जाता है। हड्डियों के बीच यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने से गाउट हो जाता है, जो एक प्रकार का गठिया रोग ही होता है जिसमें शरीर के जोड़ों में बहुत दर्द रहने लगता है……
यूरिक एसिड बढ़ने पर किडनी भी सुचारू रूप से फिल्टर करने में सक्षम नहीं रह जाती है।
ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने पर क्या लक्षण होते हैं……
आपको बता दें कि शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने के अधिकतर मामलों में सामान्य लक्षण है। इसलिए जल्दी समझ में नहीं आता है। लेकिन एक बार इन लक्षणों को पता चलने के बाद यूरिक एसिड को काबू में रखना आसान हो जाता है…… जिन लोगों को पैरों में हर समय दर्द रहता हो या फिर जोड़ों और एड़ियों में दर्द बना रहता हो या जोड़ों में जलन रहती हो यूरिक एसिड की अधिकता की ओर संकेत करता है…………
इसके अलावा शरीर में सूजन होना या फिर गांठ महसूस करने पर भी डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए…
उठने - बैठने में परेशानी और हर समय थकान महसूस होना भी यूरिक एसिड बढ़ने के संकेत हो सकते हैं। कई बार इस बीमारी के मरीजों को हाथ और पैरों की अंगुलियों में चुभने वाला दर्द होता है जो कभी- कभी अधिक हो जाता है……….
आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि मोटापा और डायबिटीज से ग्रसित लोगों को यूरिक एसिड से पीड़ित होने की संभावना अधिक होता है……….
तो चलिये अब जानते है कि यूरिक एसिड के बनाने के शुरुआत में किन चीजों से रखना चाहिए परहेज.
जी हाँ, यूरिक एसिड बनने की समस्या से बचने के लिए दही, चावल, ड्राई फ्रूट्स, दाल और पालक का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इन सभी चीजों में प्रोटीन ज्यादा मात्रा में मौजूद होती है जो इस समस्या को बढ़ा देती है।
रात को सोने से पहले दूध या दाल का सेवन न करें क्योंकि ऐसा करने से शरीर में यूरिक एसिड जमा होने लगता है। इसके अलावा छिलके वाली दाल से भी पूरी तरह परहेज रखें।
अगर आपको नॉनवेज खाना काफी पसंद है तो मीट, अंडा, मछली का सेवन तुरंत बंद कर दें क्योंकि इन चीजों के सेवन से शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा में बढ़ोतरी होती है।
इसके साथ ही पानी पीने के नियमों का पालन जरूर करें। खाना खाते समय पानी का सेवन न करें। खाना खाने के एक घंटे बाद या डेढ़ घंटे पहले पानी पिए। खाना के साथ बहुत हल्की मात्रा में ही पानी पियें।
क्या आप जानना नहीं चाहिए आखिर कि क्यों बढ़ता है यूरिक एसिड?
आज की अनहेल्दी लाइफस्टाइल में लोग कई तरह की बीमारियों से परेशान रह रहे हैं। यूरिक एसिड को बढ़ाने में प्यूरीन नाम प्रोटीन का सबसे बड़ा हाथ होता है। आपको बता दें कि यूरिक एसिड शरीर में तब बनता है जब शरीर प्यूरीन का संसाधन करता है यानी उसको छोटे-छोटे चीजों में तोड़ता है। यह प्रोटीन हमारे शरीर में खुद व खुद तो बनते ही हैं साथ ही कुछ खानपान की चीजों में भी पनीर, रेडमीट, राजमा और चावल जैसे खाद पदार्थों में प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है जिसकी वजह से लोगों को यूरिक एसिड की समस्या हो सकती है………
इसके अलावा ज्यादा देर तक खाली पेट रहना या फिर उपवास रखना भी हाई यूरिक एसिड को बढ़ावा देती है। कई बार ब्लड प्रेशर की दवाइयों के अधिक सेवन से भी यूरिक एसिड बढ़ने की समस्या हो जाती है।
अब आप समझ ही गए होंगे कि यूरिक एसिड के बनने की शुरुआत में ही पनीर, रेडमीट, राजमा-चावल, अंडा, मछली, ड्राई फ्रूट्स, दाल और पालक इन चीजों का सेवन बंद करने से यूरिक एसिड को बढ़ने से रोक जा सकता है.....
वैसे तो आप यूरिक एसिड को कम करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार भी ले सकते है क्योंकि आयुर्वेदिक उपचार से यूरिक एसिड को बढ़ने से आसानी से रोका जा सकता है| आयुर्वेदिक औषधियों के साथ बैलेस डाइट में फलों को लेने से आसानी से खून को बढ़ाया जा सकता है|
अगर यूरिक एसिड के कारण आपकी किडनी में कोई भी समस्या है तो इसको अनदेखा न करें और अगर आप अपनी किडनी के लिए इलाज लेना चाहते हैं तो आयुर्वेदिक इलाज़ सबसे सुरक्षित है| क्योंकि आयुर्वेदिक इलाज़ में आपकी किडनी को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता...आयुर्वेदिक इलाज़ पूरी तरह प्राकृतिक है, जो अपना काम पूरा प्राक्रतिक तरीके से करता है|
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