जब किडनी में खराबी आ जाती है तो इसको ठीक करने के लिए आप किन किन दर्नाक इलाज़ से गुजरते हैं| जिसमें सबसे ज्यादा दर्दनाक है एलॉपथी में डायलिसिस| डायलिसिस अक्सर तब होता है जब आपकी किडनी पूरी तरह अपना काम करना बंद कर देती है| और जब किडनी अपना काम करना बंद कर देती है तो इससे आपको शरीर में बहुत सारी परेशानियां होने लगती है| मानव शरीर में किडनी जब ठीक रहती है तो यह शरीर के सभी अंगों को भी ठीक रखती है| इसके लिए जरुरी है कि आपको दोनों किडनी अपना काम ठीक से करें|
किडनी का काम:
किडनी काम मानव शरीर से विषाक्त पदार्थों यानी कि शरीर की गंदगी को बाहर करने का होता है| किडनी शरीर की गंदगी को ब्लैडर में भेजती है और यहाँ से यूरिन के माध्यम से यह गंदगी शरीर से बाहर निकल जाती है| जब किडनी फेल हो जाती है तो यह शरीर की गंदगी को रक्त में मिला देती है| किडनी खराबी के कारण यह विषाक्त पदार्थ सही तरीके से खून से फिल्टर नहीं कर पाती है| जिससे आपके शरीर में काफी सारी परेशानियां होने लगती है|
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जिनकी दोनों किडनी खराब हो जाती है तो वह व्यक्ति सही इलाज़ और उचित आहार लेकर लंबे समय तक जिंदा रह सकता है| किडनी खराबी जब 5 स्टेज में आ जाती है तो इससे किडनी पूरी तरह खराब हो जाती है| जिसके लिए अक्सर लोग एलॉपथी इलाज़ के रूप में डायलिसिस करवाते हैं| जो कि इलाज़ नहीं होता इसको सिर्फ विकल्प कहा जाता है|
किडनी में खराबी आने के कारण:
किडनी में खराबी आने के कई सारे कारण हैं| और कई कारण तो वह है जिसके कहीं न कहीं आप खुद जिम्मेदार हैं| आइये विस्तार से जानते हैं कि किडनी में खराबी के क्या कारण हैं.
हाई ब्लड प्रेशर:
बढ़ता रक्चाप किडनी खराबी का कारण होता है| जब आपकी किडनी में खराबी आ जाती है तो इससे आपका ब्लड साफ़ नहीं रहता| और इससे आपका हार्ट ब्लड को ठीक से पंप नहीं कर पाता और इससे आपका ब्लड प्रेशर बढ़ता है और ऐसा ब्लड जब नसों के माध्यम से किडनी तक पहुचता है तो किडनी ऐसे रक्त को साफ़ नहीं कर पाती और खराब हो जाती है|
डायबिटीज:
ब्लड में शुगर का स्तर अधिक बढ़ना न सिर्फ आपको डायबिटीज का मरीज़ बनाता है बल्कि यह आपकी किडनी को भी डैमेज करता है| किडनी का काम आपके रक्त को साफ़ करना होता है और जब आपके रक्त में शुगर अधिक होता है तो ऐसे में रक्त गाढ़ा हो जाता है और गाढ़ा रक्त किडनी के टिशु को डैमेज कर देता है| इससे किडनी में खराबी आ जाती है|
यूरिन संक्रमण:
किडनी में खराबी यूरिन में संक्रमण होने के कारण भी हो जाती है| इसके संक्रमण का मुख्य कारण ई-कोलाई नाम का बैक्टीरिया होता है| जब बैक्टीरिया आपके Urethra या Vulva में पहुंच जाता है तो ये आपको यूरिन संक्रमण का खतरा बढ़ा देता है साथ ही इससे आपकी किडनी में भी संक्रमण हो जाता है| यूरिन संक्रमण अक्सर तब होता है जब आपमें यूरिन रोकने की आदत होती है|
पानी कम पीने की आदत:
जिन लोगों में कम पानी पीने की आदत होती है उनकी किडनी में भी खराबी आने की संभावना अधिक हो जाती है| क्योंकि जब आप पानी कम पीते हैं तो इससे आपकी किडनी सही से साफ़ नहीं हो पाती और शरीर में जमा गंदगी शरीर से बाहर नहीं निकल पाते| इससे आपकी किडनी में खराबी आ जाती है|
किडनी खराबी की स्टेज:
सामान्यतः किडनी खराबी की स्टेज को 5 भागों में बांटा गया है|
पहली स्टेज:
किडनी खराबी के पहले चरण में किडनी की कार्यक्षमता 90 से 100% होती है| इस स्थिति में eGFR 90 मि.लि./मिनिट से ज्यादा होता है| इस अवस्था में मरीजों में कोई लक्षण दिखने शुरू नहीं होते हैं| लेकिन हाँ आपको यूरिन से जुड़ी परेशानी हो सकती है|
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दूसरी स्टेज:
किडनी खराबी की दूसरी स्टेग में किडनी के काम करने की कैपेसिटी पहले से थोड़ा कम हो जाती है| इसमें eGFR 60 से 89 मि. लि./ मिनिट होता है| इन मरीजों में किसी भी प्रकार का कोई खास लक्षण दिखाई देता लेकिन हाँ रात में बार-बार यूरिन जाने की परेशानी आ सकती है|
तीसरी स्टेज:
इसमें eGFR 30 तो 59 मि. लि./ मिनिट होता है| किडनी खराबी इस स्टेज में यूरिन से जुड़ी कुछ परेशानी आ जाती है| किडनी की इस स्थिति में यूरिन में क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ा हुआ रहता है|
चौथी स्टेज:
क्रोनिक किडनी डिजीज की चौथी अवस्था में eGFR में अर्थात किडनी की कार्यक्षमता में 15-29 मि. लि./ मिनिट तक की कमी आ सकती है| इसमें यूरिन से जुड़ी परेशानी और बढ़ते रक्तचाप की परेशानी आ सकती है|
पांचवी स्टेज:
सी.के.डी. की पाँचवी अवस्था बहुत गंभीर होती है| इससे eGFR अर्थात किडनी की कार्यक्षमता में 15% से कम हो सकती है| इसे किडनी डिजीज की अंतिम अवस्था भी कहते हैं| इस स्थिति में किडनी मरीज को डायालिसिस या ट्रांसप्लांट की जरूरत हो सकती है|
किडनी की आखिरी स्टेज में दिखाई देने वाले लक्षण:
- खाने में अरुचि होना
- हमेशा उल्टी का मन होना
- कमजोरी महसूस होना
- वजन कम हो जाना
- पैरों के निचले हिस्से में सूजन आना
- आँखों के चारों तरफ और चेहरे पर सूजन आना
- थकावट महसूस होना
- साँस फूलना
- खून में फीकापन आना
- शरीर में खून की कमी होना
- शरीर में खुजली होना
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना
- बार-बार पेशाब जाना
- याद्दाश्त में कमी होना
- नींद में नियमित क्रम में परिवर्तन होना
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किडनी के मरीजों को संतुलित आहार और कुछ व्यायाम करने की जरूरत होती है| लेकिन किडनी के मरीज़ जिनकी दोनों किडनी में खराबी आ गई है उन्हें सही आहार लेने की जरूरत है| ऐसा करने से दोनों किडनी खराब होने के बाद भी लम्बे समय तक जीवन जीया जा सकता है| किडनी के लिए आप आयुर्वेदिक उपचार ले सकते हैं| किडनी के लिए आयुर्वेदिक उपचार सबसे अच्छा होता है जिसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता| आयुर्वेदिक उपचार में किडनी डायलिसिस और ट्रांसप्लांट की जरूरत नहीं होती| इसलिए अपनी किडनी में आई खराबी के लिए आप आयुर्वेदिक इलाज़ ले सकते हैं|
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