Painkiller दवाई, Smoking, मीठा और Nonveg हो सकता है किडनी के लिये धीमा ज़हर!

क्या आप जानते हैं छोटे- मोटे दर्द में तुरंत पेनकिलर खाने की आदत, स्मोकिंग की लत, ज्यादा मीठा खाना और हफ्ते में 2 से 3 बार नॉन वेज खाना किडनी के लिए धीमा जहर है क्योंकि आपकी ये आदते किडनी खराबी का कारण बन सकती है....


जी हाँ, किडनी में जरा सी परेशानी आपके लिए मुश्किलों का सबब बन सकती है। आपको बता दें कि आपकी ये चार खराब आदतें जैसे दर्द को कम करने के लिए पेनकिलर लेना, स्मोकिंग करने की लत, ज्यादा मीठा खाना की आदत और हफ्ते में 2 से 3 बार नॉन वेज खाने से आपकी किडनी पर बुरा प्रभाव असर पड़ता है| महिलाएं व पुरुष दोनों ही इन गलत आदतों के शिकार हैं।

तो चलिये जानते है आखिर कैसे किडनी के लिए धीमा जहर है पेनकिलर, स्मोकिंग, मीठा और नॉन वेज|

जरा सा सिरदर्द, हल्का सा बुखार, बॉडी पेन आदि हुआ नहीं कि आप केमिस्ट से पूछकर ओटीसी दवा खा लेते हैं| पेनकिलर(Painkiller) यानी दर्द निवारक दवाइयां जो शरीर के दर्द, बुखार और इन्फ्लेमेशन को कम करने में मदद करते हैं, वैसे तो असरदार और पूरी तरह से सुरक्षित नहीं मानी जाती हैं इसलिए इनका इस्तेमाल करते वक्त आपको पूरी सावधानी बरतनी चाहिए|

अगर आप इन दवाइयों का बहुत अधिक या गलत तरीके से इस्तेमाल करते हैं तो यह आपके शरीर के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है खासकर आपकी किडनी के लिए|

पेनकिलर अधिक खाने से किडनी खराब हो सकती है

जी हाँ, कर्मा आयुर्वेदा के किडनी स्पेसिलिस्ट डॉक्टर पुनीत की मानें तो हर साल भारत में किडनी फेलियर (Kidney Failure) के करीब 5 प्रतिशत ऐसे मामले सामने आते हैं जो बहुत अधिक ओटीसी दवाइयों और पेनकिलर का इस्तेमाल करने की वजह से होते हैं|

अगर एक बार किडनी की बीमारी हो जाए या किडनी में किसी भी तरह की खराबी आ जाएं, तो उसके बाद इन दवाइयों का इस्तेमाल जारी रखने की वजह से किडनी की बीमारी और ज्यादा बिगड़ सकती है| आपको भले ही पहले से किडनी की कोई बीमारी ना हो और आपकी किडनी पूरी तरह से हेल्दी हो, बावजूद इसके अगर आप इन दवाइयों का बहुत अधिक इस्तेमाल करते हैं तो आपकी किडनी के टीशूज डैमेज (Kidney Tissue damage) हो सकते हैं जिससे किडनी को नुकसान पहुंचता है|

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इसलिए आपको शरीर में होने वाले किसी भी प्रकार के दर्द में पेन किलर पहले तो avoid करना चाहिए अगर दर्द कम नहीं हो रहा है तो डॉक्टर की सलाह के बाद ही पेन किलर का सेवन करना चाहिए, नहीं तो ये आपकी किडनी को damage भी कर सकती है|

स्मोकिंग का धुआँ फेफड़ों को ही नहीं किडनी को भी करता है खराब

क्या आप जानते है कि सिगरेट के धुएं से केवल फेफड़े नहीं जलते, यह आपकी किडनी तक को गंभीर नुकसान पहुंचाता है और इसके लिए यह जरूरी नहीं आप खुद धूम्रपान करते हों। अगर आप दूसरों के द्वारा छोड़े गए बीड़ी-सिगरेट के धुएं को लेते हैं तो इससे भी आपकी किडनी को नुकसान होता है।

आपको बता दे कि एक शोध के मुताबिक, सप्ताह में तीन दिन धूम्रपान करने वालों के आसपास रहना किडनी की बीमारी के खतरे को दो गुना बढ़ा देता है। इस शोध में 1,31,196 लोगों को तीन समूह में विभाजित कर दिया। एक समूह को धूम्रपान से दूर रखा गया, दूसरे समूह को सप्ताह में तीन दिन से कम और तीसरे समूह को प्रति सप्ताह तीन से अधिक दिन तक धूम्रपान करने वालों के धुएं के आसपास रखा गया। इसमें पाया गया कि धुएं के संपर्क में रहने वालों को किडनी की बीमारी का खतरा कई गुना बढ़ गया।

ये हैं बीमारी के लक्षण

किडनी खराब होने पर शरीर में कई हानिकारक पदार्थ जमा होने लगते है, जिससे हाथ-पैरों पर सूजन आने लगती है और पेशाब का रंग गाढ़ा हो जाता है। पेट के बाईं या दाईं ओर दर्द होने लगता है और अगर आप किडनी में होने वाले दर्द को सहन नहीं कर पा रहे हैं तो इसको बिलकुल भी नजरअंदाज न करें|

पेशाब करते समय खून आना या जलन महसूस होना, अचानक पेशाब निकल जाना। वैसे तो दिनभर काम करके थकान होना आम है, लेकिन जब कमजोरी और थकान बिना वजह होने लगे तो यह किडनी फेल होने लक्षण हैं।

किडनी फेल होने का कारण क्यों बनती है डायबिटीज, जानें डायबिटीज़ और किडनी का रिश्ता

डायबिटीज (Diabetes) का सबसे बड़ा कारण अस्वस्थ जीवनशैली है। जिसके कारण अधिकतर वयस्कों के शरीर में ब्लड शुगर का लेवल हाई हो जाता है। आपको बता दे हमारे देश में 3 मार्च 2020 तक करीब 7 करोड़ 70 लाख वयस्क लोग डायबिटीज़ की समस्या से पीड़ित थे।

एक सामान्य आंकड़े की बात करें, तो डायबिटिक मरीजों में से करीब एक चौथाई मरीजों को किडनी फेलियर (Kidney Failure) का खतरा होता है। किडनी का कार्य बाधित हो जाने पर ही डायलिसिस की जरूरत पड़ती है, जिसकी मदद से शरीर में मौजूद रक्त को फिल्टर करके शुद्ध किया जाता है। जिसमें हजारों-लाखों रुपये का खर्चा आता है।

क्या आप ने कभी सोचा है कि आखिर डायबिटीज़ और किडनी का क्या रिश्ता है और इससे किडनी फेल होने का खतरा कैसे होता है?

आइए सबसे पहले जानते हैं कि डायबिटीज़ क्या है?

डायबिटीज़ की समस्या में मरीज के शरीर में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ने लगता है। लेकिन एक सामान्य व्यक्ति को इस बात की जानकारी ही नहीं होती कि आखिर डायबिटीज़ क्या होता है और ये कितने प्रकार की होती है| आपको बता दे कि डायबिटीज़ मुख्य रूप से तीन प्रकार होते हैं, जैसे- टाइप-1 डायबिटीज, टाइप-2 डायबिटीज और जेस्टेशनल डायबिटीज। डायबिटीज़ के तीनों प्रकारों में इंसुलिन की भूमिका अहम होती है। क्योंकि इंसुलिन हमारे शरीर में ब्लड ग्लूकोज को कंट्रोल करने में मदद करता है।

  • टाइप-1 डायबिटीज में आपका इम्यून सिस्टम इंसुलिन का उत्पादन करने वाली सेल्स को गलती से खतरा समझकर नष्ट करने लगता है।
  • टाइप-2 डायबिटीज सबसे आम प्रकार है, जिसमें आपके शरीर में इंसुलिन पैदा करने वाली सेल्स अपर्याप्त या ना के बराबर मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन करती हैं।
  • जेस्टेशनल डायबिटीज तब होती है, जब गर्भावस्था के दौरान या उसकी वजह से महिलाओं को डायबिटीज़ हो जाए।

किडनी की जरूरत क्यों है और इसके अस्वस्थ होने से क्या हो सकता है?

हमारे शरीर से अशुद्धियां निकालने के लिए किडनी दिन-रात कार्य करती रहती हैं। यह ब्लड से अपशिष्ट पदार्थ को पेशाब के रास्ते बाहर निकालने में मदद करती है। किडनी के अस्वस्थ होने व खराब होने के कारण धीरे-धीरे इसका कार्य बाधित होता रहता है। किडनी की समस्या का सबसे बड़ा डर यह है कि इसके बारे में अक्सर समस्या के गंभीर होने पर पता लगता है। जब किडनी रक्त को शुद्ध नहीं कर पाती है, तो डायलिसिस की मदद से ब्लड को फिल्टर करवाया जाता है। अगर सही समय पर इलाज न मिल पाए, तो किडनी फेल हो जाती है।

डायबिटीज से किडनी कैसे खराब होती है?

किडनी हमारे रक्त को छानने और टॉक्सिन्स को निकालने के लिए जिम्मेदार होती हैं। जब लगातार 6 महीने से ज्यादा समय तक डायबिटीज असंतुलित रहती है, तो उसके कारण किडनी के कार्य में गड़बड़ी हो जाती है। इसी वजह से क्रॉनिक किडनी डिजीज (Chronic Kidney Disease) विकसित हो सकती है। ऐसे मामलों में दवाएं, डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है।

डायबिटीज़ के कारण किडनी पर असर पड़ने से असंतुलित ब्लड प्रेशर, यूरिन में एल्ब्यूमिन प्रोटीन आना, आंखों, हाथों, पैरों और टखनों में सूजन, बार-बार पेशाब आना, मेंटल कंफ्यूजन होना, सांस लेने में दिक्कत होना, उल्टी, जी मिचलाना, थकान या त्वचा पर खुजली जैसे लक्षण दिख सकते हैं।

ayurvedic kidney disease treatment

इसलिए अगर आपको बहुत ज्यादा मीठा खाने की आदत है तो अब वक्त आ गया है कि अपनी इस आदत को सुधारे। ज्यादा मीठा खाने से आपके शरीर में सोडियम और शुगर का स्तर बढ़ने लगता है, जिसके कारण किडनी को इन्हें फिल्टर करने के लिए अतिरिक्त दबाव झेलना पड़ता है। इसी कारण आपकी किडनी में परेशानियां सामने आनी लगती है और धीमे-धीमे किडनी खराब होने लगती है।

नॉन वेज का सेवन

आप में से बहुत से लोग को चटपटा खाने के शौकीन होंगे लेकिन आपको बता दें, ये न सिर्फ आपके स्वास्थ्य पर बल्कि आपकी किडनी को भी बुरी तरीके से प्रभावित करते हैं। इतना ही नहीं ज्यादा मात्रा में मांस, मछली और चिकन खाना या फिर इनका लगातार सेवन आपकी किडनी पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसलिए आप इनके बजाए ताजे फलों और हरी सब्जियों के सेवन की आदत डालें ताकि आपकी किडनी स्वस्थ रहे।

अब आप समझ ही गए होंगे कि पेनकिलर, स्मोकिंग, मीठा और नॉन वेज इत्यादि का सेवन आपकी किडनी के लिए धीमा जहर बन सकता है| इसलिए दर्द को कम करने के लिए पेनकिलर लेना, स्मोकिंग करने की लत, ज्यादा मीठा खाना की आदत और हफ्ते में 2 से 3 बार नॉन वेज खाने से हमेशा बचें|

किडनी की खराबी में आप आयुर्वेदिक उपचार भी ले सकते है क्योंकि आयुर्वेदिक उपचार से किडनी को किसी भी प्रकार का साइडिफेक्ट का खतरा नहीं होता है| आयुर्वेदिक औषधियों के साथ बैलेस डाइट में फलों को लेने से आसानी से खून को बढ़ाया जा सकता है| इसलिए आयुर्वेदिक उपचार लेने से किडनी फेलियर खून को बढ़ा सकते है|

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अगर आपकी किडनी में कोई भी समस्या है तो इसको अनदेखा न करें और अगर आप अपनी किडनी के लिए इलाज लेना चाहते हैं तो आयुर्वेदिक इलाज़ सबसे सुरक्षित है| क्योंकि आयुर्वेदिक इलाज़ में आपकी किडनी को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता...आयुर्वेदिक इलाज़ पूरी तरह प्राकृतिक है, जो अपना काम पूरा प्राकृतिक तरीके से करता है|

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