नमस्कार, मेरी बेटी का नाम राधिका कुमारी है| हम सुल्तानपुर, उत्तरप्रदेश के रहने वाले है| मेरी बेटी पिछले 8 महीनों से नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम से पीड़ित थी| सच कहूँ तो पहले हमें कुछ समझ में ही नहीं आया, कि आखिर इसके साथ ऐसा क्या हो रहा है? कभी इसके पेट में दर्द होता था, तो कभी हाथ-पैरों में सूजन आ जाती थी| फिर कुछ समय के बाद मेरे दिल्ली वाली दीदी ने मुझे आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट करवाने की सलाह दी|
हमने तो कभी नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के बारे में सुना भी नहीं था| क्योंकि हमें लगता था आखिर बच्चों को बुखार, ख़ासी-जुकाम के आलवा और क्या हो सकता है? राधिका स्कूल टाइम से ही स्पोर्ट्स में काफी एक्टिव थी, पढ़ाई के साथ-साथ खेल कूद में भी काफी अच्छी थी| इसे खेलने का इतना शौक था कि कॉलेज से आने के बाद खाना खाकर सीधे खेलने चली जाती थी, दोपहर के समय थोड़ा आराम भी नहीं करती था दिन भर बस खेलने में मस्त रहती थी| लेकिन जब से इसे नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम की समस्या हुए तब से इसका खेलना - कूदना सब बंद हो गया था, इस बीमारी के कारण मेरी बेटी परेशान रहने लगी थी
एक दिन राधिका अपने कॉलेज के ग्राउंड में प्रेक्टिस कर रही थी कि अचानक उसके पेट में दर्द हुआ और चक्कर खाकर नीचे गिर गई| जब कॉलेज राधिका से घर आई, तो उसकी फ्रेंड ने बताया कि आज इसकी तबीयत खराब हो गयी थी| मुझे लगा कहीं ये अपना लंच खाना तो नहीं भूल गई, मैंने उसका टिफ़िन चेक किया| लेकिन टिफिन भी खाली था, मुझे लगा खेलना कूदने वाले बच्चे हैं, कमजोरी के कारण चक्कर आ गया होगा| लेकिन रात के समय राधिका ने कहा कि उसे पेशाब करने में दर्द हो रहा है और कहने लगी कि पेशाब भी काफी झागदार और पीले रंग का आ रहा है|
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फिर अगली सुबह हम डॉक्टर के पास गए तो डॉक्टर ने कहा शायद पेट में गर्मी के कारण ऐसा हो रहा होगा| डॉक्टर साहब ने कुछ मल्टीविटामिन्स और कैल्शियम की दवाई दी और साथ ही ज्यादा पानी पीने की सलाह दी| 1 महिना तक राधिका ने दवाई खाई उनसे थोड़ा आराम तो मिला लेकिन दवाई छोड़ने के बाद राधिका के पूरे शरीर में सूजन आने लगी| फिर हमने डॉक्टर को दिखाया ने कुछ टेस्ट करवाने की सलाह दी| टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद पता चला कि राधिका को नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम की बीमारी हैं जो ज़्यादातर बच्चों में होती है| अब हम तो यह सुनकर बिल्कुल घबरा ही गए थे क्योंकि हमें तो पहली बार इस बीमारी के बारे में सुना था और ज्यादा कुछ पता भी नहीं था|
शुरुआत में हमने राधिका का एलोपैथी ट्रीटमेंट करवाया| डॉक्टर ने हमें समझाया कि घबराने की कोई बात नहीं है क्योंकि नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम बच्चों में होने वाली एक आम समस्या है| एक महिना दवाई खाने के बाद भी राधिका की परेशानी कम नहीं हुई और किसी ने हमें बताया कि अगर ये समस्या ठीक नहीं हुए तो किडनी भी खराब हो सकती है|
फिर मेरी दिल्ली वाली दीदी से बात हुई तो उन्होने हमें आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट लेने की सलाह दी और हमें कर्मा आयुर्वेदा से नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम का उपचार करवाने की सलाह दी| फिर हमने यूट्यूब पर कर्मा आयुर्वेदा की विडियो को देखा और हमने देखा कि कर्मा आयुर्वेदा ने आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट से लाखों किडनी की बीमारी से पीड़ित रोगियों ठीक किया किया|
फिर मेरे पति ने कर्मा आयुर्वेदा के डॉक्टर पुनीत से मिलने की एपोइंटमेंट बूक करावा ली| डॉ. पुनीत से मिलने के बाद उन्होने मेरी बेटी की सारी Medical Report देखने के लिए कहा और साथ ही फिर से दुबारा KFT टेस्ट करवाने की सलाह दी| रिपोर्ट आने पर डॉ. पुनीत ने हमें समझाया कि घबराने की कोई बात नहीं क्योंकि कर्मा आयुर्वेदा ने से नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम (Ayurvedic treatment for nephrotic syndrome in child) से पीड़ित हजारों बच्चों का सफल उपचार किया है|
डॉ. पुनीत ने राधिका को एक महीने तक दवा लेने और डाइट प्लान में बदलवा करने की सलाह दी| डॉ. साहब ने जैसा समझाया था मैंने वैसे ही नियमित रूप से आयुर्वेदिक दवा दी और आहार में बदलाव भी किए| लेकिन मात्र 15 दिन आयुर्वेदिक दवा खाने से ही राधिका की तबीयत में सुधार दिखने लगा और 1 महीने के बाद राधिका कुमारी पूरी तरह स्वस्थ हो गई थी| अब राधिका पहले की तरह खेल-कूद करने लगा है और उसे किसी प्रकार कोई दिक्कत भी नहीं है| यह सिर्फ कर्मा आयुर्वेदा के आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट लेने से हुआ है| जिसके लिए मैं डॉ. पुनीत और कर्मा आयुर्वेदा हॉस्पिटल को धन्यवाद करना चाहती हूँ|
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