नेफ्रोटिक सिंड्रोम एक ऐसी समस्या है जिसमें यूरिन से बहुत अधिक मात्रा में प्रोटीन निकलने लगता है| जिसके कारण शरीर में प्रोटीन की कमी हो जाती है| इसके बाद शरीर में आने वाली दिक्कतों को रोकना मुश्किल होता है| अगर साफ शब्दों में कहा जाये तो यूरिन के माध्यम से शरीर से अच्छा प्रोटीन निकलना नेफ्रोटिक सिंड्रोम कहलाता है| नेफ्रोटिक सिंड्रोम किडनी से जुड़ी एक बीमारी है, जो सबसे ज्यादा छोटे बच्चों में देखी जाती है| हालांकि इस समस्या से बड़े भी प्रभावित हो सकते हैं| परन्तु नेफ्रोटिक सिंड्रोम सबसे ज्यादा 2 साल से 6 साल के बच्चों में ही होती है|
किडनी का काम:
मानव शरीर में किडनी का काम शरीर में जमा गंदगी को बाहर करने का होता है| किडनी एक फ़िल्टर मशीन की तरह काम करती है| जो आपके रक्त में से गंदगी को छान कर पेशाब के रास्ते उसको शरीर से बाहर कर देती है| किडनी शरीर में ब्लड को फ़िल्टर करने का काम करती है| जब आप अपने रोजाना के आहार में बेवजह बदलाव कर देते हैं तो इससे आपके शरीर में क्रिएटिनिन की मात्रा बढ़ने लगती है| जिसको आपकी किडनी सही से साफ़ नहीं कर पाती| मानव शरीर में किडनी हर मिनट 1.3 लीटर रक्त साफ़ कर सकती है| एक दिन में लगभग 400 बार रक्त को साफ करती है| जो शरीर से खराब पदार्थ बाहर करने का काम करती है|
अगर किसी मनुष्य की 75 प्रतिशत किडनी सही तरीके से काम करती है, तो मनुष्य सामान्य जीवन जी सकता है| किडनी का आपके रक्त को निरंतर साफ़ करने का कार्य चलता रहता है| आपके द्वारा लिया गया आहार आपके शरीर में जाकर शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है| शरीर में बनने वाला वेस्ट मटेरियल जिसको क्रिएटिनिन कहते हैं| किडनी उसको रक्त से बाहर करती है| लेकिन जब किडनी सही से काम नहीं कर पाती तो इससे शरीर से क्रिएटिनिन के साथ साथ अच्छे पदार्थ भी शरीर के बाहर होते हैं| तो इसकी वजह से किडनी में समस्या आ जाती है| जो कि कई सारी बीमारियों का कारण बनती है|
नेफ्रोटिक सिंड्रोम की दिक्कत:
किडनी आपके शरीर के खराब पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करती है| परन्तु जब किडनी की छन्नी के छेद बड़े हो जाते हैं तो इसके कारण शरीर के आवश्यक पोषक तत्व और प्रोटीन यूरिन के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाता है| जिसके कारण ब्लड में प्रोटीन की कमी हो जाती है| और जब रक्त में प्रोटीन की कमी आ जाती है तो इसकी वजह से आंखों में, पेट में, हाथ पैरों में और आँखों के नीचे सूजन आ जाती है| इसके अलावा आपके रक्त में कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ सकता है| ऐसे रक्त को किडनी को साफ़ करना पड़ता है तो इसके कारण किडनी की छोटी वाहिकाएं, जो ब्लड के साफ करने का कार्य करती है, वह खराब हो जाती हैं| इसका उचित उपचार नहीं किया जाए तो नेफ्रोटिक सिंड्रोम की बीमारी लंबे समय तक व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है|
नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लक्षण:
- नेफ्रोटिक सिंड्रोम से परेशान लोगों में पेट, चेहरे और आंखों के चारों ओर सूजन दिखाई दे सकती है।
- नेफ्रोटिक सिंड्रोम की समस्या आपको हाई ब्लड प्रेशर का शिकार बना सकती है।
- शरीर की इस स्थिति में भूख में कमी आ जाती है।
- पेशाब से प्रोटीन निकल सकता है।
- शरीर में कमजोरी, चक्कर आना और कई बार बेहोश होने की समस्या हो सकती है।
इन सभी लक्षणों को अनदेखा करना आपके लिए हानिकारक हो सकता है।
नेफ्रोटिक सिंड्रोम की समस्या के लिए जांच:
यूरिन टेस्ट: अगर आपको अपने शरीर में नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं, तो आप यूरिन की जांच करवा सकते हैं| इसके लिए यूरिन टेस्ट करवाना सही होता है जिसकी रिपोर्ट में आपको इस बात का पता चल जाएगा कि आपके यूरिन में कितनी मात्रा में प्रोटीन है|
ब्लड टेस्ट: नेफ्रोटिक सिंड्रोम की समस्या का पता आप रक्त की जांच करवा कर भी कर सकते हैं| इसमें खून का सैंपल लिया जाता है और आपके ब्लड में इस बात की जांच की जाती है कि उसमें प्रोटीन का स्तर कितना है| इसके साथ ही ट्राइग्लीसेराइड का भी पता लगाया जाता है| ट्राइग्लीसेराइड एक प्रकार का फैट होता है जिसका बढ़ना आपको शरीर में और भी कई दिक्कतों का शिकार बना सकता है|
किडनी बायोप्सी: किडनी में किसी भी प्रकार की खराबी का पता किडनी बायोप्सी द्वारा भी लगाया जा सकता है| इस जांच में किडनी के टिशु के छोटे छोटे सैंपल लेकर इसकी जांच की जाती है| किडनी के टिशु को लैब में माइक्रोस्कोप के नीचे रखा जाता है और इसके बाद इस बात की जानकारी मिलती है कि आपका शरीर कितनी मात्रा में प्रोटीन शरीर से बाहर कर रहा है| बायोप्सी के दौरान त्वचा और किडनी में विशेष सुई डाली जाती है, जिससे किडनी के ऊतकों को निकाला जाता है|
नेफ्रोटिक सिंड्रोम का आयुर्वेदिक इलाज
नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के दौरान शरीर में होने वाली समस्याएं:-
- हाई ब्लड प्रेशर
- हार्ट अटैक
- रक्त में प्रोटीन की कमी जिसके कारण शरीर में कमजोरी और थकान हो सकती है
- कभी कबार चक्कर आना और बेहोश होने की स्थिति हो सकती है
- कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ सकता है
- यूरिन में संक्रमण
नेफ्रोटिक सिंड्रोम की समस्या के लिए आयुर्वेदिक उपचार:-
जैसा कि नेफ्रोटिक सिंड्रोम की समस्या आपको किडनी में खराबी दे सकती है, इसके लिए जरुरी है कि आप अपने शरीर में होने वाले बदलावों को समझें और इसके लिये सही इलाज़ लें| कई लोग किडनी के इलाज के रूप में एलॉपथी की तरफ भागते हैं| हम यह नहीं कहते कि एलॉपथी इलाज़ गलत है, लेकिन हाँ इसको इलाज़ कहना सही नहीं है| क्योंकि एलॉपथी में आपको डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट जैसी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है| और यह दोनों प्रोसेस आर्टिफीसियल है| और यह किडनी के लिए वैकल्पिक हैं, जिसका कहना सिर्फ इतना होता है कि जब तक आप जिंदा रहने की इच्छा रखते हैं तब तक आप डायलिसिस करवाएं| जहां डायलिसिस बंद वह आपका जीवन समाप्त होने की कगार में आ जाता है|
इसके विपरीत अगर आप अपनी समस्या के लिए आयुर्वेदिक उपचर लेते हैं, तो यह आपके लिए 100 प्रतिशत शुद्ध और सफल इलाज है| जिसका आपके शरीर में कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता| क्योंकि आपको आयुर्वेदिक इलाज़ में सिर्फ दवाइयां ही खानी होती हैं| जहां 50 प्रतिशत दवाइयां आपके शरीर को ठीक करती हैं, वहीँ 50 प्रतिशत आपका आहार भी इसमें भरपूर योगदान देता है| यह दोनों मिलकर आपके शरीर में 100 प्रतिशत स्वस्थ रखते हैं| इसलिए नेफ्रोटिक सिंड्रोम की समस्या को दूर करने के लिए आप आयुर्वेदिक उपचार ले सकते हैं| जिसमें आप सही दवाइयों के साथ साथ बेहतर आहार भी ले सकते हैं| जो आपके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है| आयुर्वेदिक उपचार में डायलिसिस और ट्रांसप्लांट के लिए कोई विकल्प नहीं है|
किडनी समस्या के लिए उपचार केंद्र:
किडनी को स्वस्थ रखने के लिए जब आयुर्वेदिक इलाज की बात हो रही है तो आपको हम इसके लिए सही उपचार केंद्र की जानकारी भी देते हैं| अगर आप किडनी की किसी भी समस्या से परेशान हैं, तो इसके लिए आप कर्मा आयुर्वेदा से संपर्क कर सकते हैं| कर्मा आयुर्वेदा उपचार केंद्र में आपको किडनी से जुड़ी सभी प्रकार की समस्या का समाधान मिलता है| कर्मा आयुर्वेदा में आपको बेहतर आहार के बारें में भी जानकारी मिलती है क्योंकि यहाँ कुशल डायटीशियन हैं, जो आपको आपकी रिपोर्ट्स के अनुसार सही आहार बताते हैं| अगर आप डायलिसिस और ट्रांसप्लांट जैसी समस्या से दूर रहना चाहते हैं तो इसके लिए आप कर्मा आयुर्वेदा उपचार केंद्र से संपर्क कर सकते हैं|
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार : -
कर्मा आयुर्वेदा एक ऐसा किडनी उपचार का केंद्र है, जहां पर आपको किडनी का सफल इलाज पूरे प्राकर्तिक तरीके से प्राप्त होता है| कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था, और जिसका वर्तमान समय में संचालन धवन परिवार की पाचंवी पीढ़ी डॉ. पुनीत कर रहे हैं| कर्मा आयुर्वेदा के ज़रिए डॉ. पुनीत ने अब तक 1 लाख 50 हजार से भी ज्यादा किडनी के मरीजों का सफल इलाज़ कर के उन्हें एक नया जीवनदान दिया है| कर्मा आयुर्वेदा द्वारा दी गई आयुर्वेदिक दवाइयों का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता| इसलिए किडनी के उपचार में आयुर्वेद को बहुत महत्व दिया जाता है क्योंकि वर्तमान समय में कर्मा आयुर्वेदा ने लोगों के जीवन में आयुर्वेद के महत्व को दर्शाया है| कर्मा आयुर्वेदा के आयुर्वेदिक इलाज़ में सिर्फ आपको जड़ी बूटियों द्वारा बनाई गई दवाइयां ही दी जाती हैं| साथ ही आपके आहार में कुछ बदलाव करवाए जाते हैं|
0 Comments